Post of 5th April 2025

#यह जो 2 अप्रैल को ट्रम्प “टैरिफ़-वार” कर दुनिया के बदले “वर्ल्ड ऑर्डर” पर Stamp लगाया है, वह 1973 के “अरब- इसराइल जंग” से उत्पन्न संकट का समापन समारोह (culmination) है।

*WWII के ख़ात्मा के बाद, पश्चिमी ताक़तों ने इसराइल मुल्क 1948 में फ़लस्तीन में बना दिया।उस वक़्त के सऊदी अरब के बादशाह अब्दुल अज़ीज़ को जब यह ख़बर मिली के फ़लस्तीन में इसराइल मुल्क बनाया जा रहा है तो वह बहुत गुस्सा मे बोले “उन को तो अमेरिका के प्रेसिडेंट रूजवेल्ट (1945) ने कहा था कि इसराइल मुल्क #जर्मनी में बने गा।”

उस वक़्त की पश्चिमी ताक़तों ने इस को यूरोप में न बना कर मिडिल ईस्ट में बना दिया क्योंकि 1939 में सऊदी अरब के दम्माम में दुनिया का सब से बड़ा तेल का ज़खिरा अमेरिका ने खोजा था और उसी साल चंद महीना पहले सऊदी अरब ने रूस से राजनयिक संबंध ख़त्म कर दिया था, जो 53 साल बाद 1992 में सोवियत संघ टूटने के बाद बहाल हुआ।

*1948 में हज़ारो फ़िलस्तीनी मरे और लाखों लाख फ़लस्तीनियो को उन के मुल्क से निकाल दिया गया, जो जोडार्न और दूसरे अरब मुल्कों मे शरणार्थी की ज़िंदगी आज तक गुज़ार रहे हैं। संघर्ष चलता रहा और पश्चिमी ताक़तें इसराइल को हथियार देती रहीं।मिस्र, लिबिया वगैरह सोवियत संघ का दोस्त हो गया और हथियार ख़रीदने लगा।

*1971 में भारत-सोवियत संघ द्वारा बांग्लादेश बन्ने के बाद, राष्ट्रपति निक्सन ने हेनरी किसिंजर को चीन भेज कर चीन की अपना allies बनाना शुरू किया, जो 1976 में चेयरमैन माओ के मरने बाद बहुत घनिष्ठ संबंध हो गया। अमेरिक 2012 तक चीन को Patents और Technology Transfer करता रहा और चीन शांतिपूर्वक तरीक़ा से तरक़्क़ी कर “सुपर पावर” बन गया।

*1973 की अरब-इसराइल जंग जिसे “योम किप्पुर” जंग भी कहा जाता है, उस में अमेरिका ने मिस्र पर बमबारी कर, मिस्री एयरफ़ोर्स जो रूसी हथियार और हवाई जहाज़ से लैस थी, उस को मिट्टी में मिला दिया और अरब को धुल चटा दिया।

उस वक़्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो थे जो ईस्ट पाकिस्तान हार कर प्रधानमंत्री बने थे। वह जंग के दौरान रेयाद गये और शाह फैसल को कहा अमेरिका और यूरोप को तेल बंद कर दिजये, दो दिन में जंग अमेरिका बंद कर देगा। पढ़ा है शाह फैसल इस के लिए तैयार नहीं थे क्योंकि उन को यक़ीन नहीं था कि “तेल एक हथियार है”

आख़िर मे शाह फैसल भुट्टो की बात मान गये और यूरोप और अमेरिका पर Oil Embargo लगा दिया, तेल का दाम 365% बढ़ गया और तीन दिन में जंग बंद हो गई।

*अमेरिका के हेनरी किसिंजर ने 2000 में अमेरिकी पत्रिका TIMES में अपने एक लेख में लिखा है कि “मिडिल ईस्ट के Oil Embargo से 365% बढ़े तेल के दाम से यूरोप और अमेरिका की तरक़्क़ी 15 साल पीछे हो गई और तेल एक हथियार बन गया।”

*कहा जाता है कि सोवियत संघ के राष्ट्रपति ब्रेज़नेव इसी तेल की लालच मे 1979 में अफ़ग़ानिस्तान क़ब्ज़ा किया था और ईरान ने अपनी ताक़त को तेल के बढ़े दाम की वजह कर नया रंग देने के लिए 1979 में इस्लामिक क्रांती किया।

*1973 के बाद मिडिल ईस्ट में अमेरिका और यूरोप लगातार “मार-काट” करता रहा और आखरी मार-काट ओबामा ने 2011 मे “अरब स्प्रिंग” के रूप में किया मगर 2021 मे फॉल ऑफ काबूल और 2022 मे यूरोप मे रूस-यूक्रेन जंग और 2023 में इसराइल-प्रतिरोधी ताक़तों के मार-काट ने 50 साल बाद सीरिया मे “फॉल ऑफ असद” करा दिया।

#बंग्लादेश बन्ने और योम किप्पुर जंग के तक़रीबन पचास साल बाद, 2 अप्रैल 2025 को डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने सभी दोस्त और दुश्मन पर 10-50% टैरिफ़ लगा कर अमेरिका की अर्थव्यवस्था को बचा कर अमेरिका को सोवियत संघ के तरह टूटने से बचा दिया।

टैरिफ़-वार के कारण पूरे दुनिया का शेयर बाज़ार कोरोना कालखंड की तरह धराशायी हो गया और “The worst is yet to come”

पिछले दो दिन में सिर्फ़ अमेरिका का market capitalisation $5.4 trillion ख़त्म हो गया और शुक्रवार को LSE का FSTE100 सूचकांक 419 अंक गिर गया।

#NOTE: The “Tariff-War” of US is the culmination and climax of 1973 Yom Kippur War. The rise of Middle East and China, the biggest economic and political story of our lifetime. Heroic or not, one must try to make sense of what Trump means for China and China means for the world.